अल्फाज़ धड़कते ग़ज़ल में श्यामल हो के


ज़माने को लगता शायर यह सोया है 

श्याम बिहारी श्यामल 

ज़रा-सा रंग क्या बिखरा, आ गए झोंके 
हवाओं को बदनीयती से कौन रोके 

कैसे मिल जाती है हर भनक पल भर में 
कौन पहुंचा रहा मंज़र सब ढो-ढो के 

किस बेमेल का मेल किससे, खेल किसका 
वक़्त किस्सा कहता कानों में रो-रो के 

ज़माने को लगता शायर यह सोया है 
बा-खबर मैं सबसे, मुमकिन यह क्या सो के  

कोई मेरी न सुने मैं तो पर सब सुनूं 
अल्फाज़ धड़कते ग़ज़ल में श्यामल हो के 









  


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About Shyam Bihari Shyamal

Chief Sub-Editor at Dainik Jagaran, Poet, the writer of Agnipurush and Dhapel.
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