कैसे तेरे साथ कृष्ण हरदम नहीं
श्याम बिहारी श्यामल 
सामने ज़ंग महाभारत से कम नहीं
अफ़सोस साथ में केशव का दम नहीं
अफ़सोस साथ में केशव का दम नहीं
फिर वही दुर्योधन वही दुशासन अड़े  
चीर हरण पर भीष्म की आंखें नम नहीं  
लाल कपड़ों से झांक कर गीता महान  
कहती है, ' समझो मत अर्जुन हम नहीं '
चुपचाप सुन रहा गूंजते महान बोल   
' जो सच के हक़ में उसे ज़रा गम नहीं   
कैसी भी फौज़ हवा होकर रहेगी   
कैसे तेरे साथ कृष्ण हरदम नहीं '     
श्यामल हौसले को मिल गयी अब ताक़त  
फौलादी इरादों में ज़रा ख़म नहीं 
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ख़म = वक्रता
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ख़म = वक्रता

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