मुस्कान उड़ान भरे और आस्मां पर बिछ जाए
श्याम बिहारी श्यामल
गम संग सन्नाटा मिट्टी में तुरंत मिल जाए
हंसो हंसो हंसो अब जर्रा-जर्रा खिल जाए
कब से तना खड़ा खौफ बना यह बेखौफ परबत
हंसो हंसो हंसो यह पुर्जा़-पुर्जा़ हिल जाए
मुस्कान उड़ान भरे और आस्मां पर बिछ जाए
हंसो हंसो हंसो गिला रफ़्ता-रफ़्ता छिल जाए
खुशी बढ़े तो इस क़दर कि हो जाए बड़ी इतनी
हंसो हंसो हंसो सुकूं तीरगी वह लील जाए
श्यामल ज़मा है खाते में कितनी पुरानी खुशी
हंसो हंसो हंसो जि़या ज़ानिबे अब दिल जाए
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जर्रा-जर्रा = कण-कण
जि़या = प्रकाश
ज़ानिब = तरफ
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